कहानी --
मैं तरुवर की सूखी पाती ---!
,,वरुणा वरुणा!, मेरा लंच तैयार है?जल्दी से मुझे मेरा टिफिन दे दो ।मुझे जल्दी निकलना है ।,,
हड़बढ़ाती हुई काव्या स्कूल के लिए तैयार हो रही थी ।
काव्या की आवाज सुन कर उसकी मां सबीता देवी जल्दी से अपने कमरे से निकली।
उन्होंने काव्या से कहा
,, स्कूल के लिए जा रही हो बेटी?,,
काव्या ने सिर झुका कर ही अपनी पुस्तक और कॉपियां जमाते हुए कहा
,,हाँ माँ, मैं स्कूल जा रही हूं ।बच्चों के एग्जाम की कॉपियां है। आज उन्हें वापस करनी है ।
जल्दी जाना है इसलिए वरुणा को बोल रही हूं कि मुझे मेरा टिफिन जल्दी से दे दो ।
जल्दी से काव्या ने अपना पर्स लिया।
अपने हाथों में किताबों की कॉपियों की झोली और जल्दी से स्कूटी की चाबी निकाली।
वरुणा टिफिन और वाटर बोतल लेकर खड़ी थी।
टिफिन लेकर काव्या वरुणा को थैंक्यू का कहा और स्कूटी की चाबी लेकर घर से बाहर निकल गई ।
उसकी मां सविता देवी ने
काव्या से कहा
,,बेटी, नाश्ता तो कर ले। सुबह सुबह खाली पेट कहां जा रही हो?,,
काव्या ने कहा
,, माँ, ऑलरेडी लेट हूँ।शहर से दूर कम से कम 15 किलोमीटर अंदर जाना है ।,,
सविता जी भुनभुनाना शुरु कर दी।
उन्होंने भुनभुनाते हुए कहा
,, काव्या, अपने खाने-पीने का तो ध्यान रखा कर। दिनभर स्कूल स्कूल बच्चों की पढ़ाई के पीछे क्या करती रहती हो?
काव्या दो मिनट तक खड़ी रही फिर वह वापस आकर उसने वरुणा से कहा
,, वरुणा ,जल्दी से मुझे दूध कॉर्नफ्लेक्स दे दो। वरुणा ने उसके इशारे को समझ कर जल्दी से दूध गर्म कर उसे मिक्सी में कॉन्प्लेक्स को पीस दिया।
और उसे गिलास में डाल कर दिया।
एक झटके में ही कॉन्प्लेक्स दूध गले में गटक कर काव्या जल्दी से बाहर निकल गई।
जब तक सबीता जी कुछ बोलती तब तक वह बाय बोलकर स्कूटी स्टार्ट कर आगे बढ़ गई।
काव्या के जाते ही सविता जी भूनभुनाने लगी।
,, पता नहीं उसके दिमाग में कौन सी मति समा गई है बच्चों को पढ़ाना... बच्चों को पढ़ाना..! पता नहीं इन अनपढ़ों को पढ़ा कर इसे क्या मिलेगा ?
अनपढ़ गवार लोग इतना पढ़ लेंगे..और क्या करेंगे जिसके पीछे पागलों की तरह भागती रहती है.. ना अपना ठिकाना ना और किसी और का..!,,
काव्या शर्मा एक बहुत ही बेहतरीन छात्रा शुरू से रही थी।
लगातार टॉप करने के बाद भी जब उसने बीएड और टीचिंग लाइन में आने का निर्णय घरवालों के साथ सबीता जी को भी आश्चर्य चकित कर गई थी।
अब बीएड कंपलीट करने के बाद भी जब उसने सरकारी स्कूलों में पढ़ाना शुरू किया तो भी घर में सबने मना किया था, लेकिन काव्या थी अपने जिद की पक्की।
वह थी अपने ही मन की।
उसका कहना था
,,शिक्षा पर सबका अधिकार है.. अशिक्षा दूर करने के लिए तो मेहनत करनी ही पड़ेगी।
..आखिर भारत को आजादी दिलाने के लिए हमारे पूर्वजों ने कितना तप किया था।,,
वह हर रोज स्कूटी से अपने घर से लगभग 15-20किलोमीटर अंदर जाती थी और वहाँ के बच्चों को पढ़ाया करती थी।
सुदूर देहात में सरकारी स्कूल की बिल्डिंग भी थी लेकिन गांव के बच्चों को पढ़ाना कोई मामूली बात नहीं थी।
काव्या दिनरात अथक मेहनत करती रहती थी।गांव और वहां की समस्याओं को प्रशासन तक भी पहुंचाती थी और उनसे मदद भी मांगती थी।
धीरे धीरे काव्या का बहुत नाम हो गया।खासतौर पर राज्य मंत्रिमंडल में।
राज्य सरकार ने इस वर्ष 26जनवरी को बुलाकर विशेष सम्मान देना चाहती थी।
ताकि इससे जन समुदाय में अच्छा प्रभाव पड़े।
26जनवरी आनेवाला था।काव्या अपने स्कूल से लौट रही थी।
गांव से बाहर निकल ने वाली सड़क टूटी फूटी और कच्ची थी।
उसदिन जोरों की बारिश भी हुई थी।
काव्या का स्कूटी कीचड़ में स्किड कर गया और वह सड़क पर गिर गई।
उसने अपने मोबाइल फोन से पहले स्कूल के सहकर्मी को फोन किया।
किसी तरह से काव्या को अस्पताल पहुंचाया गया।
उसके पैरों की हड्डी टूट गई थी।
काव्या अंदर से डर गई थी कि अब उसकी माँ उसपर नाराज होगी।
काव्या अस्पताल के बेड पर काव्या पड़ी थी। उसके घायल होने की खबर सुन कर उसके परिवार वाले दौड़ते हुए पहुंचे।
सबीता देवी ने काव्या के पैरों में प्लास्टर देखकर रो पड़ी।
उन्होंने रोते हुए कहा
,,बस मिल गया टीचर गिरी करके।अब मन को मिल गया तसल्ली।,,
तभी दरवाजे से शिक्षा अधिकारी वहां आते हुए कहते हैं
,,माता जी,ऐसे मत कहिए।आपकी बेटी जैसी बेटियाँ भारत में जन्म लेने लगें तो फिर इस देश से सारे दुख दर्द और गरीबी चली जाएगी..!
बस इस लौ को जलाए रखना बेटी.. उन्होंने काव्या से कहा।
,,देखिए मुख्यमंत्री जी ने क्या तोहफा भेजा है आपकी बिटिया के लिए।,,अधिकारी ने एक लिफाफा बढ़ाते हुए कहा।
मुख्यमंत्री जी झंडोत्तोलन के बाद जिन विभूतियों को सम्मानित करेंगे उसमें आपकी बिटिया का भी नाम है।
बधाई हो काव्या जी।जयहिंद
सबीता जी की आँखों में आँसू थे।
सच ही है सब दानों में विद्या दान सर्वश्रेष्ठ होता है, ऐसा तो वह खुद उसे बचपन में सिखाती थीं।
यही गुण तो काव्या में भर गया है।
आँखों में आँसू भरकर सबीता जी ने कहा
जयहिंद🙏🌷
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सीमा..✍️💕
©®
#लेखनी कहानी प्रतियोगिता
आँचल सोनी 'हिया'
21-Sep-2022 11:29 PM
Achha likha hai 💐
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दशला माथुर
20-Sep-2022 01:23 PM
Behtarin rachana
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Gunjan Kamal
19-Sep-2022 12:25 PM
👏👌🙏🏻
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